Advanced Fundamental Analysis hindi : Fundamental Analysis यानी कि कंपनी की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण कंपनी किस तरह से Business कर रही है, कितना खर्च हो रहा है। कितना पैसा कमा रही है, और अंततः एक Share Holder होने के नाते आपको Company की कमाई से कितना Profit मिल रहा है । देखा जाए तो इस विषय पर सबसे ज्यादा भ्रम फैला हुआ है, क्योंकि शायद हम यह समझते हैं की fundamental analysis बहुत मुश्किल होता है। दरअसल, हमें सिर्फ दो पेपर (Statement) पढ़ने होते हैं जिन्हें पढ़कर हमें कंपनी के आर्थिक स्थिति को पता कर सकते है |
- Balance Sheet – कंपनी पर कितना कर्ज है, और कंपनी की कितनी संपत्ति है ।
- Profit & Loss Statement – कंपनी कितना मुनाफा कमाती है ।
बस, अगर इन दो पेपर्स को समझ पाए तो Fundamental Analysis का 50% हिस्सा आप समझ गए हैं। अगर सामान्य भाषा में कही जाए तो आपको यह देखना है कि, कंपनी अपना जो बिजनेस कर रही है उससे साल दर साल कितना मुनाफा कमा रही है। साथ ही कंपनी की कितनी संपत्ति है और कितने कर्जे है। वैसे देखा जाए तो एक तीसरा पेपर Cash Flow भी होता है, जो Investor के लिए ज्यादा जरूरी नहीं होता। पर फिलहाल हम जरूरी जानकारी को समझने की कोशिश करते है –

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Balance Sheet (Advanced Fundamental Analysis hindi)
जैसा की नाम से प्रतीत होता है इस रिपोर्ट में आपको दो जानकारियां मिलेंगी जो बिलकुल सामान होंगी | और वे दो जानकारिया है ” liabilities और Assets। किसी भी कंपनी की केवल बॅलन्स शीट देखकर ये पता किया जा सकता है की, इस कंपनी के बारे में आगे रिसर्च किया जाना चाहिए या नहीं। सभी बड़े Investor कंपनी की Balance Sheet देख कर कंपनी की आर्थिक स्थिरता के बारे में जान जाते है | तो आइये देखते है की बॅलन्स शीट में कौनसी जानकरियां होती हैं।
Liabilities (देनदारियां) | Assets(सम्पत्ती ) |
Share Capital (Share & Equity Capital) | Fixed Assets |
Reserves | CWIR(Capital Work In Progress) |
Borrowings | Investments |
Other Liabilities | Other Assets |
Total Liabilities | Total Assets |
Liabilities (देनदारियां) –
जो शेअर्स कंपनी ने आम निवेशकों के लिए जारी किए है, उन्हें कहां जाता है Share Capital | Share Holders के पैसे, और उनके पैसों पर जो पैसा कमाया है,पर जो मुनाफा शेअर होल्डर को नहीं दिया है वह रिजर्व होता है | और जो कर्जे लिए हैं, उसे बॉरोइंग करते |
Assets(सम्पत्ती )
Advanced Fundamental Analysis hindi : कंपनी की कुछ ऐसी संपत्तियां होती है जिन्हें, आसानी से नहीं बेचा जाता, और जिन संपत्ति की वजह से बिजनेस चल रहा होता है, जैसे कि कंपनी की प्रॉपर्टी, प्लांट और मशीनरी ( Equipment’s ) जो प्रोडक्ट बनाने के काम में आती है, इन तीनों को कहा जाता है Fixed Assets | अब कुछ संपत्ति ऐसी होती है जो खर्च हो रही होती है पर, अभी तक प्रोडक्ट बना हुआ नहीं होता है । जैसे कि अगर कंपनी कोई बिल्डिंग बना रही है तो, बिल्डिंग बनने से पहले जो खर्च होते हैं इसी तरह के खर्चों को कहा जाता है कॅपिटल वर्क इन प्रोग्रेस (CWIP ) | अब वह संपत्ति जिसे हम इन्वेस्टमेंट कहते हैं। कंपनी द्वारा म्यूचुअल फंड में, शेअर्स में, बॉन्ड्स में या किसी अन्य तरह के इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट में निवेश किया हुआ पैसा होता है इसी को investment कहते है ।
Balance Sheet Summary for Advanced Fundamental Analysis hindi
बॅलन्स शीट में दो महत्वपूर्ण रिकार्ड्स होते हैं । Liabilities और Assets |
Liabilities में शेअर कॅपिटल, रिजर्व और बॉरोइंगस होते हैं।
Assets में फिक्स्ड ऐसेट्स, कॅपिटल वर्क इन प्रोग्रेस और इन्वेस्टमेंट अमाउंट होती है।
बॅलन्स शीट में अगर आपको यह 6 टर्म्स पता है तो बॅलन्स शीट का 90% महत्वपूर्ण हिस्सा आपको पता चल चुका है।
कंपनी के रिपोर्ट्स दो तरह से पब्लिश होते हैं-
- Consolidated – एक से ज्यादा कंपनियों (Subsidiaries* ) का रिपोर्ट ।
- Standalone – केवल एक कंपनी का रिपोर्ट ।
जब भी आप Financial Report पढ़ें तो हमेशा Standalone रिपोर्ट ही पढ़ें। Standalone का मतलब है। केवल एक कंपनी का Financial Report
यदि आपको किसी भी भारतीय कंपनी की Financial Report देखना है तो आप Screener.in जाके देख सकते है |
उदाहरण के लिए यदि हमे HDFC BANK की Financial Report देखना है तो हम Screener.in मे जाके HDFC Bank Search करेगे और नीचे स्क्रॉल करेगे तो हमे HDFC bank की Financial Report दिख जाएगी –

Balance Sheet में जो शब्द है उनके मतलब तो हमने समझ लिए हैं, अब जानते हैं कि Balance Sheet को देख कर, Balance Sheet में क्या Comparison (तुलना) करना चाहिए | Balance Sheet हमेशा पिछले साल को अगले साल से Compare करके देखना चाहिए।
जैसे कि 2021 का डाटा 2022 के साथ हमें कंपेयर करना चाहिए | कुछ पॉइंट्स है जिससे बॅलन्स शीट आप ज्यादा अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
Liabilities में क्या समझें ?
Share Capital | बढ़ना नहीं चाहिए, या तो पिछले कई सालों मे जितना उतना ही हो या फिर कम होता जाए | |
Reserve | हर साल बढ़ते जाना चाहिए | साल दर साल बढे | |
Borrowing | यह हमेशा रिजर्व से कम होना चाहिए। ना बढे तो अच्छा । |
Assets में क्या समझें ?
Fixed Assets | साल-दर-साल बढ़ते जाने चाहिए | |
Capital Work in Progress | इस कॉलम में कोई ना कोई अंक हो इसका मतलब है कि कोई Asset बन रहा है। |
Investments | साल-दर-साल बढ़े या घंटे. कोई दिक्कत नहीं, पर इन्वेस्टमेंट कभी भी फिक्स्ड एसेट्स से ज्यादा नहीं होनी चाहिए |
Profit and Loss Statement –
Profit And Loss Statement 1 साल का और तिमाही का होता है। दोनों मामलों में Profit And Loss Statement का Formatसामान होता है। प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में खास तौर पर 8 ऐसे पॉइन्ट्स जिन्हे हमे जरूर समझना चाहिए ।
Sales | Expenses | Operating Profit | Operating Profit Margin | Other income | Interest | Depreciation | tax | Net Profit |
अगर आप आईपीओ के बारे मे जानना चाहते है तो click here
Informative
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