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टेक्निकल एनालिसिस कैसे सीखें ? Learn technical analysis in hindi 2023

टेक्निकल एनालिसिस के अंदर हम किसी भी शेयर के बारे में चार्ट के आधार पर एनालिसिस करते हैं | टेक्निकल एनालिसिस में हम कैंडलस्टिक पैटर्न इंडिकेटर्स चार्ट पेटर्न और जरूरी नियमों के बारे में पढ़ते हैं जिससे कि हम एक प्रोफेशनल ट्रेडर की तरह ट्रेड कर सके |
एक कैंडल स्टिक के अंदर कैंडल का ओपन लो हाय यूज़ होता है क्लोज इसे समझने के लिए नीचे दिए हुए चित्र को देखें —

टेक्निकल एनालिसिस

हम जानते हैं की मार्केट में उतार-चढ़ाव होता है जिससे कि किसी भी शेयर के भाव ऊपर और नीचे होते हैं हम कैंडल्स का उपयोग करके किसी भी शेयर में हुए बदलाव को देख सकते हैं हम कैंडल की मदद से शेयर में 5 मिनट से लेकर 1 घंटे तक या फिर किसी भी टाइम फ्रेम में हुए बदलाव को देख सकते हैं और समझ सकते हैं ऊपर दिए हुए चित्र में दो प्रकार की कैंडल्स है एक रेड और दूसरी ग्रीन –

यदि शेयर का क्लोजिंग भाव ओपनिंग भाव से ज्यादा होता है तो कैंडल ग्रीन बनती है और यदि शेयर का क्लोजिंग भाव शेयर के ओपनिंग भाव से नीचे होता है तो कैंडल रेड बनती है |

और जब तक कैंडल क्लोज नहीं हो जाता तब तक कैंडल का रंग अंतिम रंग नहीं होता यदि क्लोज ओपन से ऊपर हुआ है तो ग्रीन कैंडल बनेगी और यदि क्लोज ओपन से नीचे हुआ है तो रेड कैंडल बनेगी |

टेक्निकल एनालिसिस यूनिवर्सल होता है यानी हम इसका यूज करके शेयर मार्केट शेयर मार्केट कमोडिटी मार्केट करंसी मार्केट या किसी भी प्रकार के मार्केट में किसी भी टाइम फ्रेम पर इसका यूज करके सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
टेक्निकल एनालिसिस इस बात पर ध्यान नहीं देती कि कोई शेयर अंडरवैल्यूड यानी अपनी वास्तविक कीमत से सस्ता है या ओवरवैल्यूड यानी अपनी वास्तविक कीमत से महंगा है। टेक्निकल एनालिसिस में सिर्फ एक चीज का महत्व है– और वह है शेयर का पुराना ट्रेडिंग डाटा और यह डाटा आगे आने वाले समय के बारे में क्या संकेत दे सकता है।

Basics of Technical analysis

अब हम टेक्निकल एनालिसिस के बेसिक्स को जाने दे की टेक्निकल एनालिसिस का यूज कैसे करते हैं ,और कैसे इसकी मदद से किसी भी शेयर के ऊपर या नीचे जाने का अनुमान लगाते हैं |

1) Supply and Demand

भाव के बीच का फर्क सप्लाई और डिमांड का कारण होता है जिसके आधार पर चार्ट बनता है जो टेक्निकल एनालिसिस का मूल आधार होता है
अगर सप्लाई से डिमांड ज्यादा हो तो भाव बढ़ जाता है और यदि दिमाग से डिमांड से सप्लाई ज्यादा हो तो भाव गिर जाता है एक चार्ट की मदद से इस बढ़ोतरी और गिरावट को दर्शाया जाता है |

Price trend

2) Price trend

टेक्निकल एनालिसिस में प्राइस ट्रेंड को बहुत इंपॉर्टेंट दिया जाता है क्योंकि ट्रेंड के आधार पर ही शेयर को खरीदना है या बेचना है यह निर्धारित किया जाता है यदि शेयर नए-नए हाई बनाते हुए ऊपर जा रहा है तो हम कह सकते हैं की मार्केट अप ट्रेंड में है इसलिए यहां पर खरीदारी की सलाह दी जाती है और यदि मार्केट नए-नए लो बनाते हुए नीचे जा रहा है तो हम कह सकते हैं कि मार्केट डाउन ट्रेंड में है और यहां पर बिकवाली की सलाह दी जाती है नॉर्मल मार्केट में तीन प्रकार के ट्रेंड होते हैं पहला अप ट्रेंड दूसरा डाउनट्रेंड डाउन ट्रेंड और तीसरा साइड वेज , साइड वेज में मार्केट एक रेंज में ट्रेड करता है | यहां पर ना तो मार्केट अप ट्रेंड होता और ना ही डाउन ट्रेंड होता मार्केट में एक निर्धारित रेंज होती है जिसके अंदर बाजार ट्रेड करता है |

3) Support

सपोर्ट एक ऐसा लेवल होता है जहां पर डिमांड इतनी ज्यादा होती है कि वह भाव को और नीचे जाने से रोकती है यानी कि वहां पर शेयर के खरीदार रहते हैं जो कि शेयर को खरीद रहे होते हैं जिससे कि शेयर और नीचे जाने से रुक जाता है |
जब सपोर्ट का लेबल टूटता है तब कहा जाता है कि उस समय जो मंदी करने वाले होते हैं वह तेजी करने वालों से जीत जाते हैं जिससे कि शेयर का भाव और नीचे जाने लगता है इसलिए जब भी किसी महत्वपूर्ण लेवल ब्रेक होता है तो शेयर का भाव और ज्यादा नीचे जाने लगता है

4) Resistance

रजिस्टेंस को सप्लाई जोन भी कहा जाता है | सप्लाई जोन एक ऐसा लेवल होता है जहां पर बिक्री करने वाले खड़े होते हैं जैसे ही कोई शेयर रजिस्टेंस में आता है वहां पर बिकवाली करने वाले शेयर को बेचते हैं जिससे कि उसका भाव गिरने लगता है |

इस प्रकार हम रजिस्टेंस और सपोर्ट का फायदा उठा सकते हैं अपने ट्रेडिंग में यदि कोई स्टॉक सपोर्ट के पास है और वहां पर खरीदारी शुरू हो गई है तो हम शेयर को खरीद सकते हैं और यदि कोई स्टॉक रजिस्टेंस के पास है और वहां पर बिकवाली शुरू हो गई है तो हम शेयर को बेचकर पैसा कमा सकते हैं |

5) Volume

शेयर बाजार में दिन के दौरान जो खरीदी और बिक्री होती है उसके आधार पर अब तक कितनी ट्रेडिंग हुई है वह वॉल्यूम कहलाता है |
इस प्रकार जब भी किसी शेयर में ट्रेडिंग होती है तो उसमें उसका वॉल्यूम बहुत इंपॉर्टेंट होता है |
जब शेयर का भाव बढ़ता है और वॉल्यूम भी साथ में बढ़ता है तो इसे अच्छा माना जाता है और यहां से खरीदारी की जा सकती है और यदि शेयर का भाव गिरता है और वॉल्यूम भी बढ़ता है तब शेयर को बेचा जा सकता है

6) Trend Reversal

अगर किसी शेयर में तेजी का ट्रेंड स्थापित हो गया है और अगर करेक्शन के दौरान वह गिरकर अपने पहले वाले लो भाव के करीब आ जाता है तो ऐसा समझना चाहिए कि अब ट्रेंड रिवर्सल हो सकता है यहां से ट्रेंड साइड वेज हो सकता है या फिर लेवल को ब्रेक किया तो शेयर डाउन ट्रेंड में भी जा सकता है |

7) Divergence

शेयर का भाव जब कोई दिशा पकड़कर आगे बढ़ता है या गिरता है तब एक ऐसा लेबल आता है जहां पर भाव बढ़ता है परंतु उसके साथ ही शेयर का भाव अधिक गिरता है और शेयर करेक्शन करता है ऐसी स्थिति को शेयर का डायवर्जेंस कहते हैं |

Divergence

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